वक़्त का मोल

हर किसी के पास उतना ही वक़्त होता है,

समय का पहिया भी सबके लिए बराबर ही घूमता है,

और यहाँ तक कि सूरज का निकलना और अस्त होना भी सबके लिए एक समान ही होता है।

जब प्रकृति ने ही भेदभाव नहीं किया हमारे साथ, तो हम कैसे कर सकते है?

क्यूँ खुद को कम आँक कर खुद से ही धोखा कर सकते है?

क़ाबिल है सभी, बस अपनी क्षमताएँ पहचानने में देर कर देते है।

जो समझ जाते है अपनी अहमियत, वो फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखते है।

वो फिर कभी पीछे मुड़ के नहीं देखते है।

~~दीपिका

वज़ह तुम हो!

कहो, होता है ना!

हर किसी के लिए वो एक महताब जरुर होता है,

जिसके होने का एहसास दिल के करीब और बहुत खास होता है।

पता ही नहीं चलता, कब बन जाता है वो वज़ह आपके जीने की,

मिलती है जिससे ताकत हिम्मत न खोने की।

पर कैसा लगता है जब वही साथी साथ छोड़ दे।

जिससे हो आपको ढेरों उम्मीदें वो ही आपका विश्वास तोड़ दे।

जब वो ही वज़ह बन जाएं आपकी मायूँसियों की,

आपकी गुमनामियों की, आपकी हैरानियों और परेशानियों की।

बस उसी वक़्त ये तय कर लेना कि कोई भी वज़ह आपकी जिंदगी से बड़ी नहीं हो सकती है।

जो देता है तकलीफ़, उससे वफ़ादारी की उम्मीद कैसे हो सकती है।

ऐसे किस्से को बुरा सपना समझ कर भुला देना चाहिये।

वो है नहीं क़ाबिल आपके और आपके विश्वास के, उसे तवज्जों देना बंद कर देना ।

©®दीपिका

सुकून की तलाश!

https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/22/sukoon-ki-talash/

नई सहर रोशनी वाली!

https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/21/nayi-sahar-roshani-vali/

वक़्त जो रुकता नहीं।

https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/20/waqt-jo-rukta-nahi/

प्यार की ताक़त!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/18/pyar-ki-taakat/

माँ की जादूगरी!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/17/maa-ki-jaadugari/

नज़रिये का फेर!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/16/nazariye-ka-pher/

मन की सुंदरता!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/15/man-ki-sundarta/

लम्हे जो बीत गए है।https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/14/lamhe-jo-beet-gaye-hai/

बीते कल की परछाई!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/13/beete-kal-ki-parchaai/

जंग दिल और दिमाग की!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/11/jang-dil-aur-dimag-ki/

हज़ारों बहाने है जीने के!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/09/hazaro-bahane-hai-jeene-ke/

गमों के बादल!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/08/gamo-ke-baadal/

वो एक फ़रिश्ता!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/06/vo-ek-pharista/

इंसानियत कुछ खो सी गई है!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/06/insaaniyat-jo-kuch-kho-si-gayi-hai/

और भी दर्द है इस ज़माने में!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/04/aur-bhi-dard-hai-is-zamane-main/

चलो फिर से शुरू करते है।https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/03/chalo-phir-se-shuru-karte-hai/

बेमक़सद जीना भी कोई जीना है?https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/01/bemaksad-jina-bhi-koi-jina-hai/

अजीब दास्तां है ये!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/01/ajeeb-dastaan-hai-ye/

थमी नहीं है ज़िंदगी!

सूखी मिट्टी में पानी की बूँद जैसी ज़िंदगी,

तपती गर्मी में ठंडी छाँव जैसी ज़िंदगी,

मुश्क़िलों से आँख मिचौली करती ज़िंदगी,

कभी हँसाती तो कभी रुलाती ज़िंदगी।

चाहे कुछ भी हो जाएं, हार ना मानती ज़िंदगी,

चलते रहिए, आगे बढ़िये!!

अभी थमी नहीं है ज़िंदगी।

आख़िरी सांस तक मौत से लड़ती ज़िंदगी।

अपनों को हौंसला दिलाती ज़िंदगी।

गिरते हुए को उठाती ज़िंदगी।

कभी भयानक तो कभी सबसे खूबसूरत रूप दिखाती ज़िंदगी।

चाहे कुछ भी हो जाएं, हार ना मानती ज़िंदगी,

चलते रहिए, आगे बढ़िये!!

अभी थमी नहीं है ज़िंदगी।

रोज नये पाठ पढ़ाती ज़िंदगी,

मुश्क़िलों को सुलझाती ज़िंदगी,

कभी गले लगाती तो कभी आंख दिखाती ज़िंदगी,

तो कभी अपना बनाकर पराये होने का अहसास करवाती ज़िंदगी।

चाहे कुछ भी हो जाएं, हार ना मानती ज़िंदगी,

चलते रहिए, आगे बढ़िए!!

अभी थमी नहीं है ज़िंदगी।

©® दीपिका

https://youtu.be/W9gegLb7TlU

सुकून की तलाश!

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नई सहर रोशनी वाली!

गमों के बादल छंट जाएँगे जब होगी नई सहर रोशनी वाली।

एक एक तिनके से बनेगा फिर से आशियाँ उम्मीदों वाला,

और एक नई डगर की तलाश होगी

हम भी चल देंगे साथ तुम्हारे, कुछ बेहतरी की आस में।

फिर से एक नई दुनिया, नई शुरुवात के लिए तैयार होगी।

अँधेरा कब तक रोकेगा उजाले की परवाज़ को

चिंता कब तक रोकेंगी उसके अगले आगाज़ को।

वो फिर उठेगा एक यौद्धा की तरह कर्मवीर बनकर,

फिर से वही रौनक बाज़ारों में लौटेगी।

गमों के बादल छंट जाएँगे जब होगी नई सहर रोशनी वाली।

एक एक तिनके से बनेगा फिर से आशियाँ उम्मीदों वाला,

और एक नई डगर की तलाश होगी।

बस तू धीरज न खो, हिम्मत न हार,

लगा रह अपनी कोशिशों में।

फिर से तेरी तक़दीर तेरी चौखट पर तेरा इंतज़ार कर रही होगी।

फिर से एक नई सहर नई ऊर्ज़ा के साथ तेरा दीदार कर रही होगी।

गमों के बादल छंट जाएँगे जब होगी नई सहर रोशनी वाली।

एक एक तिनके से बनेगा फिर से आशियाँ उम्मीदों वाला,

और एक नई डगर की तलाश होगी।

©® दीपिका

पॉडकास्ट सुने।

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/Ulahana-Complaint-ed0l6t

वक़्त जो रुकता नहीं।

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प्यार की ताक़त

प्यार की ताक़त वो ही जान सकता है जिसने कभी सच्चा प्यार किया हो या पाया हो।

प्यार की ताक़त

प्यार में वो ताक़त है जो पत्थर को भी पिघला दे, हाँ जी, मैंने पत्थर को पिघलते देखा है।

जिसे फ़र्क नहीं पड़ता था दुनिया के दस्तूरों से, उसे किसी अंजाने के लिए झुकते हुए देखा है।

प्यार बंधन नहीं है, दो दिलों का वो अटूट नाता है,

जहाँ हिसाब नहीं रखा जाता है कि पहले कौन माफ़ करता है या पहले कौन रूठ जाता है?

प्यार एक अविरल धारा है जो एक ही दिशा में बहती रहती है।

चाहे कोई कितना भी दम लगा ले, वो अपने साथी के लिए चट्टान सी खड़ी रहती है।

लेन देन की दुनिया से बहुत ऊपर होता है उस प्यार का अहसास।

सिर्फ वो एक ही समझ सकता है कि क्या है इसमें, क्यूँ है ये एहसास इतना खास।

प्यार नुमाइश नहीं चाहता है और ना ही चाहता है बेवफाई,

सुकून की ज़िंदगी की चाहत होती है उसे, ना कि व्यर्थ के अहम की लड़ाई।

प्यार दोनों पलड़ों में हिसाब बैठाना जानता है,

क्या होती है अहमियत इस रिश्ते की, इसे भली भांति पहचानता है।

प्यार में वो ताकत है जो पत्थर को भी पिघला दे, हाँ जी, मैंने पत्थर को पिघलते देखा है।

जिसे फ़र्क नहीं पड़ता था दुनिया के दस्तूरों से, उसे किसी अंजाने के लिए झुकते हुए देखा है

©®दीपिका

बेजुबां प्यार

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माँ की जादूगरी!

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नज़रिये का फेर!

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मन की सुंदरता!

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लम्हे जो बीत गए है।

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बीते कल की परछाई!

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जंग दिल और दिमाग की!

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हज़ारों बहाने है जीने के!

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गमों के बादल!

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वो एक फ़रिश्ता!

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इंसानियत कुछ खो सी गई है!

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और भी दर्द है इस ज़माने में!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/04/aur-bhi-dard-hai-is-zamane-main/

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बेमक़सद जीना भी कोई जीना है?

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अजीब दास्तां है ये!

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माँ की जादूगरी!

शब्दों का जादू उन्हें बखूबी चलाना आता है,

वो मेरी माँ है, जिनकी डांट में भी प्यार नज़र आता है।

उन्हें पता है बहुत अच्छे से, कब कान सीधा और कब घुमाकर पकड़ना है।

कब कितना गुस्सा करना है और कब प्यार दिखाना है।

वो मेरी माँ है,

जिनकी डांट में भी प्यार नज़र आता है।

मेरी हर अनकही को जो बिन बोले ही समझ ले।

सिर्फ भाव पढ़कर ही जो दिल का हाल बता दे।

मेरी भूख प्यास का हिसाब जो मुझसे ज्यादा रखे।

कभी नारियल सी सख्त तो कभी मोम सी कोमल लगे।

वो मेरी माँ है,

जिनकी डांट भी प्यारी लगे।

वो मेरी माँ है जो मुझे जग से प्यारी लगे।

मेरी हर तकलीफ़ में मेरे साथ खड़ी रहती है,

दूर हो भले ही शरीर से पर आत्मा से जुड़ी रहती है।

मेरी हर कमी को मेरी ताक़त बनाने में लगी रहती है,

मुझ से ज्यादा विश्वास जो मुझ पर करती है।

वो मेरी माँ है,

जो मुझ पर अपनी जान न्यौछावर करती है।

वो मेरी माँ है जो मेरे लिए दुनिया से लड़ जाती है।

वो मेरी माँ है,

जिसे शब्दों का जादू बखूबी चलाना आता है,

वो मेरी माँ है,

जिनकी डांट में भी प्यार नज़र आता है।

©®दीपिका

नज़रिये का फेर!

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मन की सुंदरता!

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लम्हे जो बीत गए है।

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बीते कल की परछाई!

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जंग दिल और दिमाग की!

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हज़ारों बहाने है जीने के!

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गमों के बादल!

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बेमक़सद जीना भी कोई जीना है?

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नज़रिए का फेर!

ये तो बस नज़रिए पर निर्भर करता है,

किसी को गिलास आधा खाली तो किसी को आधा भरा दिखाई देता है।

किसी को सिर्फ कमियां तो किसी को उनसे बाहर निकलने का रास्ता नज़र आता है।

सही तो है,

ये तो बस नज़रिए पर निर्भर करता है।

ये उनका नज़रिया ही तो होता है जो हमें कभी अर्श पर तो कभी फर्श पर बिठाता है।

कभी उनकी आँखों का तारा तो कभी उनकी नज़रों से गिराता है।

ये नज़रिया ही तो है जो हमें कभी देवदूत की संज्ञा तो कभी पतन की ओर ले जाता है।

ये तो बस नज़रिए पर निर्भर करता है

किसी को गिलास आधा खाली तो किसी को आधा भरा दिखाई देता है

जैसा हम सोचते है, वैसा ही हमारा नज़रिया बनता जाता है।

हमें पता भी नहीं चलता, कब दूसरे के लिए बोला हुआ एक एक गलत शब्द, हम पर ही भारी पड़ जाता है।

ये नज़रिया ही तो है जो हमें कभी देवदूत की संज्ञा तो कभी पतन की ओर ले जाता है।

©®दीपिका

मन की सुंदरता!

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लम्हे जो बीत गए है।

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बीते कल की परछाई!

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इंसानियत कुछ खो सी गई है!

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बेमक़सद जीना भी कोई जीना है?

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लम्हे जो बीत गए है!

लम्हे जो बीत गए है, अब वापस कभी नहीं आएँगे।

चाहे अब उन्हें कितनी भी शिद्द्त से, फिर उनसे न मिल पाएँगे।

इसलिए कहते है कि आज में जिओ,

ये पल यादें ना बन जाएं, इन्हें संजोते चलो।

क्योंकि

लम्हे जो बीत गए है, अब वापस कभी नहीं आएँगे।

चाहे अब उन्हें कितनी भी शिद्द्त से, फिर उनसे न मिल पाएँगे।

जो भी करना चाहते हो, इसी पल में करो, इसी पल को जिओ,

कल कर लेंगे, कल कर लेंगे, इस आदत से बचो।

क्योंकि

कल क्या होगा, ये किसको पता?

कल की फ़िक्र में क्यूँ करे अपना आज लापता

बाद में तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता,

क्यूँ जिए छलावे में जब आज हाथ में है शफ़ा।

क्योंकि

लम्हे जो बीत गए है, अब वापस कभी नहीं आएँगे।

चाहे अब उन्हें कितनी भी शिद्द्त से, फिर उनसे न मिल पाएँगे।

©®दीपिका

बीते कल की परछाई!

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जंग दिल और दिमाग की।

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पॉडकास्ट सुनें।

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/Zindagi-Ka-Safar-ecn9ig

बीते कल की परछाई!

बीते कल की परछाई!

लोग कहते है कि बीते कल में जिया नहीं करते,

हाथों से रेत फिसल जाने के बाद मुट्ठी मला नहीं करते।

पर बीते कल की परछाईयाँ आपका पीछा कहाँ छोड़ती है?

कितना भी भूलने की कोशिश करो, कहीं न कहीं जहन में जिंदा रहती है।

कभी हिम्मत तो कभी उदासी देती है,

कभी कुछ नाज़ुक पल की यादें तो कभी आगे बढ़ने की नसीहत देती है।

बहुत कुछ सीखते है हम बीते कल की परछाइयों से,

कुछ की गई गलतियों से तो कुछ उन्हें ना दोहराने की कोशिश में खुद से की गई लड़ाईयों से।

इतना भी आसां नहीं होता, अतीत से पीछा छुड़ा लेना,

पर मिलता क्या है याद करने से, ये भी एक गंभीर बहस का मुद्दा है।

अगर अच्छाई लेकर आगे बढ़ रहे है, तो फिर भी ठीक है,

पर गर “रंजिश ए गम” पाल रखा है तो बहुत मुश्किल है।

जल्द से जल्द बाहर निकलना होगा इन परछाइयों से,

बीते दिनों की मायूँसियों से और तन्हाईयों से।

सच है कि बीते कल में जिया नहीं करते।

हाथों में से रेत फिसल जाने के बाद मुट्ठी मला नहीं करते।

©®दीपिका

दिल और दिमाग़ की जंग!

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इंतज़ार अच्छे वक़्त का!

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हज़ारों बहाने जीने के!

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गमों के बादल!

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इंतज़ार अच्छे वक़्त का!

हम अच्छे वक़्त का इंतज़ार ही करते रहते जाते है,

कुछ पीछे छूट जाता है तो कुछ हम खुद छोड़ के आगे बढ़ जाते है।

ऐसा कर के कभी खुद को धोखा देते है,तो कभी किसी और से धोखा पाते है।

और फिर एक बार हम अच्छे वक़्त का इंतज़ार ही करते रह जाते है।

समय का पहिया गतिमान है किसी के लिए नहीं रुकता है,

हमें ही समझनी होती है उसकी गति और खुद ही सामंजस्य बिठाना पड़ता है।

गलती हमारी होती है और हम दूसरों पर दोष मढ़ते रह जाते है,

और हम फिर यूँ ही हाथ पर हाथ रखकर अच्छे वक़्त का इंतज़ार ही करते रह जाते है।

समय रहते ही चीजों को सुधारने की कोशिश की होती तो शायद नज़ारे कुछ और होते।

हमारे भी परिश्रम और सफलताओं के किस्से चहुँ ओर होते।

अच्छे वक़्त का इंतज़ार नहीं, अच्छा वक्त खुद के लिए कमाना पड़ता है।

खुद को हर उस हारी हुई सोच से ऊपर उठाकर जीत के क़ाबिल बनाना पड़ता है।

वरना हम अच्छे वक़्त का इंतज़ार ही करते रहते जाते है,

कुछ पीछे छूट जाता है तो कुछ हम खुद छोड़ के आगे बढ़ जाते है।

©®दीपिका

हज़ारों बहाने है जीने के!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/09/hazaro-bahane-hai-jeene-ke/

गमों के बादल!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/08/gamo-ke-baadal/

वो एक फ़रिश्ता!https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/06/vo-ek-pharista/

इंसानियत कुछ खो सी गई है!

https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/04/06/insaaniyat-jo-kuch-kho-si-gayi-hai/

पॉडकास्ट सुने।

https://anchor.fm/deepika-mishra