दिल छोटा ना कर!

यूँ ही बीत जाएगी ज़िंदगी, बेवजह की गलफतों में,
कुछ दिल्लगी में, कुछ दिल की लगी में।

खुशियों का खज़ाना अपने अन्दर ही है, हम बेवज़ह बाहर ढूंढते है।

क्यूँ देते है हम उन चीज़ों को तवज्जों, जो हमें अन्दर ही अन्दर तोड़ता है।

तू खुद ही खुद के लिए काफ़ी है, तू ऱब का बंदा है।

जो ना समझे कीमत तेरी, वो भूल है उसकी, दूसरों का दिल दुखाना उसका तो रोज़ का धंधा है।

लगा रहे तू अपनी कोशिशों में, दूसरों की परवाह न कर।
एक दिन मिल जाएगा तू भी अपनी मंजिल से, दिल छोटा ना कर।

©®दीपिका

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/Dil-Chota-Na-Kar-eamg8g

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/11/15/housalo-ki-udaan/

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