संडे की तलाश

एक अदद “संडे” के इंतज़ार में निकल जाता है पूरा “हफ़्ता”।
और “अलसाई आँखें” खुश होने लगती है कि अब”नींद”पूरी होने वाली है।

पर क्या पता उस “पगली” को कि पूरे हफ़्ते की कसर तो “संडे” को ही निकलने वाली है।

बचे हुए “कामों की लिस्ट” और “ढेरों फरमाइशें” अब उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही है।

पर वो भी “चंद सुकून” के पलों की चाहत में अपना “सीक्रेट प्लान” तैयार कर रही है।

पर कहाँ गया मम्मी का संडे?

वो खुद को समझाकर फिर से बचे हुए कामों को समेटने में “व्यस्त” हो जाती है।
और अपने “सीक्रेट प्लान” को भूलाकर फिर से अगले संडे का “इंतज़ार” करने लग जाती है।

©® दीपिका

देखना न भूलें

https://youtu.be/RU-aBEqPD_w

तेरा मेरा साथ

तेरा मेरा साथ यूँ ही बना रहे, मैं तेरी हमराही, तू हमसाया यूँ ही बना रहे।

उबड़ खाबड़ पथरीले रास्तों पर, थांमें एक दूसरे का साथ, मैं तेेरी हमसफ़र, तू साथी मेरा बना रहे।

महज़ रिश्ता नहीं ये प्यार की डोर है, मैं तेरी सजनी, तू साजन यूँ ही बना रहे।

मैं महकूँ खुशबू से तेरी और घर उपवन सा सजा रहे।

लग जाए उम्र तुझे मेरी भी और दिन तुझे देख देख कर यूँ ही गुजरा करे।

ना जाने कैसा रिश्ता बनाया है ऱब ने ये, कि महज दूरी के एहसास से ही, दिल सुबक सुबक कर रोया करे।

तेरा मेरा साथ यूँ ही बना रहे, मैं तेरी हमराही, तू हमसाया यूँ ही बना रहे।

©®दीपिका

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/10/17/tera-mera-rishta/

ज़िंदगी तो जिंदादिली से जीने का नाम है।

ज़िंदगी तो जिंदादिली से जीने का नाम है।
सपनों को पीछे छोड़कर जीना कोई ज़िंदगी थोड़े ही है, समझौता है।

अगर आता है हुनर जीने का तो क्या फ़र्क पड़ता है कि कौन बड़ा और कौन छोटा है?

अच्छाई का हमेशा बाँहें फैलाकर स्वागत करो।
और लगे अगर जकड़े हो किसी बुराई से तो उसे स्वीकार कर, बदलने की कोशिश करो।

तुरंत फल की चाहत में कर्मों का लेखा ज़ोखा बिगाड़ना सबसे बड़ी बेवकूफी है।

अगर की है शिद्दत से मेहनत तो फल जरुर मिलेगा,खुद पर विश्वास रखना बेहद जरुरी है।

ज़िंदगी तो जिंदादिली से जीने का नाम है।

©® दीपिका

दिल छोटा ना कर!

यूँ ही बीत जाएगी ज़िंदगी, बेवजह की गलफतों में,
कुछ दिल्लगी में, कुछ दिल की लगी में।

खुशियों का खज़ाना अपने अन्दर ही है, हम बेवज़ह बाहर ढूंढते है।

क्यूँ देते है हम उन चीज़ों को तवज्जों, जो हमें अन्दर ही अन्दर तोड़ता है।

तू खुद ही खुद के लिए काफ़ी है, तू ऱब का बंदा है।

जो ना समझे कीमत तेरी, वो भूल है उसकी, दूसरों का दिल दुखाना उसका तो रोज़ का धंधा है।

लगा रहे तू अपनी कोशिशों में, दूसरों की परवाह न कर।
एक दिन मिल जाएगा तू भी अपनी मंजिल से, दिल छोटा ना कर।

©®दीपिका

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/Dil-Chota-Na-Kar-eamg8g

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/11/15/housalo-ki-udaan/

हौंसलों की उड़ान

आधा फासला तय किया है अभी, आधा करना बाक़ी है।
तय की है दूरी ये भले ही लड़खड़ाते क़दमों से, पंखों की उड़ान तो अभी बाक़ी है।

आँखों से ओंझल है लक्ष्य और तूफानों का दौर है।
पर विश्वास ढिगा नहीं है बिल्कुल भी, जीतने की चाह अभी भी बाक़ी है।

जैसे खड़ी रहती है चट्टान हजारों चोटें सहने के बाद भी।
वैसे ही है हौंसलें की ताक़त मेरी, जो और मज़बूत हो जाती है हर नई चुनौती के साथ ही।

कठिन है सफ़र ये मेरा और ख्वाहिशों में रंग भरना बाक़ी है। ये तो बस अभी शुरुवात है, हौंसलों की उड़ान तो अभी बाक़ी है।

©®दीपिका

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/11/04/kyun-katnni-aur-karni-mein-itna-antar-hai/

खुद की सुनो।

अजीब दस्तूर है दुनिया का!

कुछ न करो तो “निकम्मा”
और करो तो “खुदगर्ज़” कहती है।

बेफिक्र होकर जियो तो “लापरवाह”
और कदम फूँक फूँक कर रखो तो “डरपोक” कहती है।

ज्यादा खर्च करो तो “दिखावा”
और बज़ट के अनुसार चलो तो “कंजूस” कहती है।

दूसरों के कहे अनुसार जीने लगे तो शायद ही आगे बढ़ पायेगें,
दिल में दबे अरमान और कुछ करने का जूनून यूँ ही घुट घुट कर दम तोड़ जायेगें।

ज़िंदगी जीनी है तो “जिंदादिली” से जिओ।
“कुछ तो लोग कहेगें ही, लोगों को कहने दो” की सोच को जहन में जिन्दा रखो।

©®दीपिका

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/Khud-Ki-Suno-ec65ti

तेरा मेरा रिश्ता #करवाँचौथस्पेशल

ना जाने कौनसा तार जुड़ा हुआ है दिल का तुमसे,
नज़रें हट भी जाए चेहरे से तो यादों के साए घेरे।

अब तो साँसे भी पहचानती है आहट को तेरी,
बोलो न बोलो तुम,महसूस होती है आशिक़ी आँखों से तेरी।

हर बात घूम फ़िर कर तुम पर ही आकर ठहर जाती है,
तुमसे ही शुरू होती है ज़िंदगी और तुम पर ही खत्म हो जाती है।

लगते हो प्यारे तुम ख़ुदा की नेमत जैसे,
हर नाजुक घड़ी में दिल तेरा साथ ढूंढ़े।

माँगती हूँ रब से हर पल तेरी सलामती की दुआ,
तू है हमसाया मेरा और मैं तेरी रहनुमा।

©®दीपिका

करवाँ चौथ की ढेरों शुभकामनाएं

My Singing “Karwa Choth Surprise” for Husband

https://youtu.be/YdgXBWFPmZA

तंज़

दूसरों के लिए छोटा पर उसके लिए उसका आत्मसम्मान तब शायद सबसे बड़ा हो जाता है।

अपने ज़मीर की आवाज़ सुनना अब उसके लिए बेहद जरुरी हो जाता है।

हर दूसरे पल सवाल उठाया जाता है जब उसके अस्तित्व पर,
मौन रहकर भी बिना कुछ बोले ही सिर्फ भंगिमाओं से उसे दोषी ठहराया जाता है।

खो देती है वो अपनी पहचान अपनी नज़रों में ही, जब उसे उसका ही अक्श दूसरों के चश्मों से दिखाया जाता है।

पड़ जाती है सोच में कि किया क्या है ऐसा उसने? जो हर बार हर गलती का ज़िम्मेदार उसे ही ठहराया जाता है।

©®दीपिका

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https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/10/10/ulahana/

उलाहना

दूसरों पर ऊँगली उठा देना बहुत आसान होता है।
खुद को मासूम और उसको गुनहगार बता देना बहुत आसान होता है।

कभी फुर्सत हो तो बैठो और सुनो हाल ए दिल उसका भी,
शायद समझ पाओ कि हर सच को झूठ बता देना बहुत आसान होता है।

अंदाज़ा तभी लगाया जा सकता है मजबूरियों का उनकी,
गर खुद गुज़रे हो उस दोराहे से कभी।

ऐसे तो हर कोशिश पर उनकी सवाल उठा देना बहुत आसान होता है।
खुद के किये हुए को सही और दूसरों के व्यक्तित्व पर पैबंद लगा देना बहुत आसान होता है।

~©®दीपिका

जंग जीवन की

Hello friends,

Life is a journey and we live this in phases. We have to face up and downs at various points. What I think about life, my feelings are here in the form of Hindi poem. I hope you like it.

Hindi Poetry

Jang Jeevan Ki ( जंग जीवन की)

साँसें चल रही है तो उम्मीद अभी भी बाकी है।
हारी नहीं हूँ मैं, कोशिश अभी भी जारी है।

माना कि मुश्किलों भरी है राह मेरी,
पर ढिगा नहीं है विश्वास मेरा, जंग अभी भी जारी है।

फिर उठूँगी गिर कर भी मैं, लड़खड़ाते क़दमों से भी,
कोई हो ना हो साथ मेरे पर ज़िन्दगानी अभी भी बाकी है।

भले ही जल गई हो लकड़ियाँ मेरे चूल्हे की,
पर उनकी राख अभी भी बाकी है।

जख्म हरे कर जाते है कुछ घाव पुराने भी,
आँखों में नमी हो भले ही पर होठों पर मुस्कान अभी भी बाकी है।

You can also read here.

Zindagi ka Safar”

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/06/06/zindagi-ka-safar/

Vajood Jindagi ka”

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/05/30/vajood-jindagi-ka/