ज़िंदगी तो जिंदादिली से जीने का नाम है।
सपनों को पीछे छोड़कर जीना कोई ज़िंदगी थोड़े ही है, समझौता है।
अगर आता है हुनर जीने का तो क्या फ़र्क पड़ता है कि कौन बड़ा और कौन छोटा है?
अच्छाई का हमेशा बाँहें फैलाकर स्वागत करो।
और लगे अगर जकड़े हो किसी बुराई से तो उसे स्वीकार कर, बदलने की कोशिश करो।
तुरंत फल की चाहत में कर्मों का लेखा ज़ोखा बिगाड़ना सबसे बड़ी बेवकूफी है।
अगर की है शिद्दत से मेहनत तो फल जरुर मिलेगा,खुद पर विश्वास रखना बेहद जरुरी है।
ज़िंदगी तो जिंदादिली से जीने का नाम है।
©® दीपिका
True👍
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Thanks☺
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