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तंज़
दूसरों के लिए छोटा पर उसके लिए उसका आत्मसम्मान तब शायद सबसे बड़ा हो जाता है। अपने ज़मीर की आवाज़ सुनना अब उसके लिए बेहद जरुरी हो जाता है। हर दूसरे पल सवाल उठाया जाता है जब उसके अस्तित्व पर, मौन रहकर भ…