काश!! सब मन चाहा होता…


कितने लोगों ने कितनी ही बार ये सोचा होगा,
सोते जागते इन सपनों को बुना होगा।

कितना अच्छा होता कि सब कुछ मन चाहा होता,जो मन होता वो कर जाता, जहाँ मन चाहे टहल आता।

काश!! सब मन चाहा होता…तो कितना अच्छा होता।

पर जिंदगी इंस्टेंट नूड्ल्स की तरह नहीं होती वो तो एक स्वादिष्ट डिश की तरह होती है,

जिसे पकने में काफ़ी समय, काफ़ी धैर्य, काफ़ी कौशल और काफ़ी कला लगती है।

जहाँ नमक, मिर्च और मसालों का समायोजन एकदम संतुलित होता है,
कोई भी स्वाद एक दूसरे को ओवर पॉवर नहीं कर रहा होता है।

वैसे ही ज़िंदगी होती है जहाँ बहुत से रिश्ते बनते और बिगड़ते रहते है,
आगे बढ़ने और ऊँचा बनने की लड़ाई में एक दूसरे से कितना झगड़ते रहते है।

खुद को ऊँचा उठाने की कोशिश करे, दूसरों को गिराने की नहीं,
सब कुछ मनचाहा मिल जाता तो जिंदगी का ये स्वाद रह जाता, कहिए सही कह रही हूँ या नहीं।

जो मनचाहा मिलता है उसका स्वागत करे, उसका आंनद ले।
और जो नहीं मिला है उसके बारे में सोचकर खुले रास्तों को बंद ना करे।

©®दीपिकामिश्रा

वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करे👇

https://youtu.be/FuoT8pxZokM

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