कोशिशें

साँसें चल रही है तो उम्मीद अभी भी बाकी है।
हारी नहीं हूँ मैं, कोशिश अभी भी जारी है।

माना कि मुश्किलों भरी है राह मेरी और तूफानों का दौर है,
पर ढिगा नहीं है विश्वास मेरा, जंग अभी भी जारी है।

फिर उठूँगी गिर कर भी मैं, लड़खड़ाते क़दमों से भी,
कोई हो ना हो साथ मेरे पर ज़िन्दगानी अभी भी बाकी है।

भले ही जल गई हो लकड़ियाँ मेरे चूल्हे की,
पर उनकी राख अभी भी बाकी है।

जख्म हरे कर जाते है कुछ घाव पुराने भी,
आँखों में नमी हो भले ही पर होठों पर मुस्कान अभी भी बाकी है।

©®दीपिका

सुनिये पॉडकास्ट पर!

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/Umeed-Abhi-Bhi-Baki-Hai-ebf502

34 thoughts on “कोशिशें

  1. Inspiring and uplifting poem. You weaved it very beautifully. फिर उठूँगी गिर कर भी मैं, लड़खड़ाते क़दमों से भी,
    कोई हो ना हो साथ मेरे पर ज़िन्दगानी अभी भी बाकी है। So true. We need to stay strong from within.

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