नमस्कार!
सादर नमन!
स्वागत करती हूं आप सभी लोगों को।आशा करती हूं कि आप सभी लोग ठीक और स्वस्थ होंगे।
हम सभी लोग अवगत है वर्तमान की परिस्थितियों से, बस इतना ही कहना चाहूँगी कि हम लोगों ने, हमारे भारत वर्ष ने पहले भी बहुत सी कठिनाईयों का सामना बड़ी ही बहादुरी और धैर्य के साथ किया है, ये समय भी निकल जाएगा बस ऐसे ही धैर्य और हिम्मत बनाए रखें और निर्देशों का पूरी सावधानी से पालन करें।
एक बार इस पटल से उन सभी लोगों का धन्यवाद और आभार व्यक्त करना चाहूँगी जो दिन रात बिना रुके हुए लगे हुए है इस आपदा की घड़ी में।
तो चलिए शुरू करती हूं आज का “बातें कुछ अनकही सी” का सफ़र।
अज़ीब दास्तां है ये!
अज़ीब दास्तां है ये, कई सवाल पीछे छोड़ जाती है।
कहाँ खड़े है हम और ये राह किधर को जाती है?
क्यूँ भूल गए है हम सरल इंसानी पैमानों को भी?
क्या बस अब यही काम रह गया है कि निकाले कमियाँ और दोष हर दूसरे व्यक्ति की?
हमारी भी कुछ जिम्मेदारियाँ है, हमारे भी कुछ दायरे है,
सवाल पूछना ही सिर्फ़ काम नहीं है हमारा, हाथ बँटाना भी हमारी ही तहज़ीब के अंतर्गत आता है।
सोचो, सोचो क्यूँ खिसकती जा रही है ज़मीन अपने ही पैरों के नीचे से?
जो खेल रहे है हम प्रकृति से, अब वक़्त है सावधान होने का क्योंकि वो भी जोड़ रही है हिसाब बड़ी ही तबियत से।
ये प्रकृति है, अपना संतुलन खुद बना ही लेती है,
अब ये हम पर है कितना संभलते है हम, अन्यथा इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
आशा करती हूँ इस कविता के सार को आप समझ ही गए होगें तो आईए मिलकर कोशिश करे कि हम अपनी जिम्मेदारी को समझ कर उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
https://myaspiringhope.wordpress.com/2020/03/16/blogchatter-a2z-challenge-2020-theme-reveal/
आप मेरी अन्य कविताओं को यहाँ सुन भी सकते है,
https://anchor.fm/deepika-mishra
मिलिये मुझसे मेरी अभिव्यक्ति के माध्यम से
https://www.youtube.com/channel/UCSfQiXta_ihvHbOx16rRFKw
सोशल मीड़िया हैंडल्स!
https://twitter.com/Deepika3911/
https://www.facebook.com/deepspassion024
https://www.instagram.com/deepika079
https://www.pinterest.com/ganpatideepi101/
आभार और धन्यवाद,
दीपिका