दर्द की इंतेहा आँखों की गहराईओं में है।
कुछ सवाल छुपे हुए, अतीत की परछाईओं में है।
हर घाव हँसकर पूछता है, वजूद तेरे होने का?
क्यों है डर हर कोने में, सब कुछ पाकर खोने का?
जिंदगी भी अजीब है, हर बार एक नया बहाना ढूंढ लेती है।
सलाम है उस जज्बें को,
जो सब कुछ भूलकर फिर नयी मंज़िल तलाश कर लेती है।
लोग सोचते ही रह जाते है ऱाज तेरी हिम्मत का।
और तू है कि फिर मुस्करा के आगे कदम बढ़ा लेती है।