तेरा मेरा साथ

तेरा मेरा साथ यूँ ही बना रहे, मैं तेरी हमराही, तू हमसाया यूँ ही बना रहे।

उबड़ खाबड़ पथरीले रास्तों पर, थांमें एक दूसरे का साथ, मैं तेेरी हमसफ़र, तू साथी मेरा बना रहे।

महज़ रिश्ता नहीं ये प्यार की डोर है, मैं तेरी सजनी, तू साजन यूँ ही बना रहे।

मैं महकूँ खुशबू से तेरी और घर उपवन सा सजा रहे।

लग जाए उम्र तुझे मेरी भी और दिन तुझे देख देख कर यूँ ही गुजरा करे।

ना जाने कैसा रिश्ता बनाया है ऱब ने ये, कि महज दूरी के एहसास से ही, दिल सुबक सुबक कर रोया करे।

तेरा मेरा साथ यूँ ही बना रहे, मैं तेरी हमराही, तू हमसाया यूँ ही बना रहे।

©®दीपिका

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/10/17/tera-mera-rishta/

हौंसलों की उड़ान

आधा फासला तय किया है अभी, आधा करना बाक़ी है।
तय की है दूरी ये भले ही लड़खड़ाते क़दमों से, पंखों की उड़ान तो अभी बाक़ी है।

आँखों से ओंझल है लक्ष्य और तूफानों का दौर है।
पर विश्वास ढिगा नहीं है बिल्कुल भी, जीतने की चाह अभी भी बाक़ी है।

जैसे खड़ी रहती है चट्टान हजारों चोटें सहने के बाद भी।
वैसे ही है हौंसलें की ताक़त मेरी, जो और मज़बूत हो जाती है हर नई चुनौती के साथ ही।

कठिन है सफ़र ये मेरा और ख्वाहिशों में रंग भरना बाक़ी है। ये तो बस अभी शुरुवात है, हौंसलों की उड़ान तो अभी बाक़ी है।

©®दीपिका

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/11/04/kyun-katnni-aur-karni-mein-itna-antar-hai/

क्यूँ कथनी और करनी में इतना अंतर है?

क्यूँ कथनी और करनी में इतना अंतर है?
भीतर के भाव और वाणी में छुपा ऱाज भयंकर है।

अच्छा सबको लगता है दो मीठे बोल प्यार के सुनना,
पर क्यूँ कल्पना के सागर और जीती वास्तविकता में इतना अंतर है?

जताया जाता है कि हम साथ खड़े है हर पल तुम्हारे,
तुम व्यर्थ डटे हो, हम ही तो दे रहे है बाजुओं को सहारे।

हर वक़्त बड़े होने का भाव दिखाया जाता है,
पर शायद बड़ा बनने के लिए भी बड़प्पन को पहले अंदर पनपाया जाता है।

क्यूँ ये समझना और समझाना इतना मुश्किल है?
क्यूँ कथनी और करनी में इतना अंतर है?भीतर के भाव और वाणी में छुपा राज़ भयंकर है।

©® दीपिका

तेरा मेरा रिश्ता #करवाँचौथस्पेशल

ना जाने कौनसा तार जुड़ा हुआ है दिल का तुमसे,
नज़रें हट भी जाए चेहरे से तो यादों के साए घेरे।

अब तो साँसे भी पहचानती है आहट को तेरी,
बोलो न बोलो तुम,महसूस होती है आशिक़ी आँखों से तेरी।

हर बात घूम फ़िर कर तुम पर ही आकर ठहर जाती है,
तुमसे ही शुरू होती है ज़िंदगी और तुम पर ही खत्म हो जाती है।

लगते हो प्यारे तुम ख़ुदा की नेमत जैसे,
हर नाजुक घड़ी में दिल तेरा साथ ढूंढ़े।

माँगती हूँ रब से हर पल तेरी सलामती की दुआ,
तू है हमसाया मेरा और मैं तेरी रहनुमा।

©®दीपिका

करवाँ चौथ की ढेरों शुभकामनाएं

My Singing “Karwa Choth Surprise” for Husband

https://youtu.be/YdgXBWFPmZA

उलाहना

दूसरों पर ऊँगली उठा देना बहुत आसान होता है।
खुद को मासूम और उसको गुनहगार बता देना बहुत आसान होता है।

कभी फुर्सत हो तो बैठो और सुनो हाल ए दिल उसका भी,
शायद समझ पाओ कि हर सच को झूठ बता देना बहुत आसान होता है।

अंदाज़ा तभी लगाया जा सकता है मजबूरियों का उनकी,
गर खुद गुज़रे हो उस दोराहे से कभी।

ऐसे तो हर कोशिश पर उनकी सवाल उठा देना बहुत आसान होता है।
खुद के किये हुए को सही और दूसरों के व्यक्तित्व पर पैबंद लगा देना बहुत आसान होता है।

~©®दीपिका

क्यूँ सिर झुकाए खड़ा है तू?

क्यूँ सिर झुकाए खड़ा है तू, बोलियों के इस बाज़ार में?

जानता है गर कद्र अपनी तो बढ़ जा आगे,
झोंक कर बेबसी को अपनी, मजबूरियों की अंगार में।

आत्मबल और सच्चाई ख़ासियत है तेरे व्यक्तित्व की,
जो भूल गया है तू व्यर्थ के दिखावे की लड़ाई में।मत हो मायूस समाज के उन तानों से,

जो सपनों को तोलते है तेरे अपनी इच्छाओं के पैमाने पे।मिल जाएगा जवाब उन्हें भी, तेरे काम की गहराइयों में,

जो आँकते थे हुनर को तेरे, नाकामयाबियों की कतार में।

क्यूँ सिर झुकाए खड़ा है तू, बोलियों के इस बाज़ार में?

©®दीपिका