बीते कल की परछाई!

बीते कल की परछाई!

लोग कहते है कि बीते कल में जिया नहीं करते,

हाथों से रेत फिसल जाने के बाद मुट्ठी मला नहीं करते।

पर बीते कल की परछाईयाँ आपका पीछा कहाँ छोड़ती है?

कितना भी भूलने की कोशिश करो, कहीं न कहीं जहन में जिंदा रहती है।

कभी हिम्मत तो कभी उदासी देती है,

कभी कुछ नाज़ुक पल की यादें तो कभी आगे बढ़ने की नसीहत देती है।

बहुत कुछ सीखते है हम बीते कल की परछाइयों से,

कुछ की गई गलतियों से तो कुछ उन्हें ना दोहराने की कोशिश में खुद से की गई लड़ाईयों से।

इतना भी आसां नहीं होता, अतीत से पीछा छुड़ा लेना,

पर मिलता क्या है याद करने से, ये भी एक गंभीर बहस का मुद्दा है।

अगर अच्छाई लेकर आगे बढ़ रहे है, तो फिर भी ठीक है,

पर गर “रंजिश ए गम” पाल रखा है तो बहुत मुश्किल है।

जल्द से जल्द बाहर निकलना होगा इन परछाइयों से,

बीते दिनों की मायूँसियों से और तन्हाईयों से।

सच है कि बीते कल में जिया नहीं करते।

हाथों में से रेत फिसल जाने के बाद मुट्ठी मला नहीं करते।

©®दीपिका

दिल और दिमाग़ की जंग!

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इंतज़ार अच्छे वक़्त का!

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हज़ारों बहाने जीने के!

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गमों के बादल!

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मैं आशा!

हँसती और मुस्कुराती, मैं आशा हूँ।

निराशा को दूर भगाती और सबकी हिम्मत बढ़ाती, मैं आशा हूँ।

खड़ी हूँ यही चौखट पर तुम्हारी,

बस बंद दरवाज़े खोलने की देर है।

सोच रहे हो क्या तुम, किस उधेड़बुन में हो?

दोस्त तो बनो मेरे एक बार, किस आशंका में हो?

गर एक बार थामा मेरा दामन,

तो मैं जीवन भर साथ नहीं छोडूँगी।

चलूंगी संग संग तेरे, सपनों को उड़ान दूँगी।

गर गिर रहा होगा तो संभाल लूंगी।

और फिर से उठने का हौंसला दूँगी।

हँसती और मुस्कुराती, मैं आशा हूँ।

निराशा को दूर भगाती और सबकी हिम्मत बढ़ाती, मैं आशा हूँ।

©®दीपिका

माँ का प्यार

माँ के चरणों में संसार और आँचल में ढ़ेर सारा प्यार होता है।
चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए, माँ का प्यार अपने बच्चे के लिए कभी भी कम नहीं होता है।

माँ के हाथ के बने खाने का दुनिया में कोई मोल नहीं है।
कैसे तोल सकता है कोई तेरे प्यार को, ए माँ! ये कोई बिकाऊ थोड़े ही है।

बस अपना प्यार और आशीर्वाद सदा यूँ ही बनाए रखना, माँ!
तुम जुग जुग जिओ हज़ारों साल, ये ही है तेरे बच्चे की दुआ, माँ।

कितने दुःख दर्द वो अपने बच्चे के लिए हँसते हँसते पी जाती है।

दुःख तो तब होता है जब उसके निःस्वार्थ प्रेम को स्वार्थ की परिभाषा दी जाती है।

शायद समझा नहीं सकती है वो अपनी भावना को शब्दों में।

बच्चा बस खुश रहे, तरक्की करे, ये ही दुआ होती हआई उसकी प्रार्थनाओं में।।

माँ के चरणों में संसार और आँचल में ढ़ेर सारा प्यार होता है।

चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए, माँ का प्यार अपने बच्चे के लिए कभी भी कम नहीं होता है।

©®दीपिका

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/08/23/maa-ek-pharishta/

मन की शांति

जीती थी जो औरों की मन की शान्ति के लिए,
गैरों की हँसी और अपनों की खुशी के लिए।

आज देखकर उसे एक नया अनुभव हुआ,
छोड़ते हुए जिसने कड़वे लम्हों को पीछे, खुद के लिए जीने का निश्चय किया।

कट तो रही थी ज़िंदगी यूँ भी शनै: शनै:।
पर सलीके से ज़िंदगी जीने के लिए कुछ नए पैमानों को गढ़ा गया।
कुछ छोड़ा तो कुछ नया रचा गया।

बदल रही है अब उसकी भी सोच बदलती हवाओं के साथ,
खो नहीं सकती अब शांति वो भी अपने मन की, हर बदलती जरुरतों के साथ।

एक नया आशियाँ अब उसने भी बनाया है।उस अँधेरी रात के बाद फिर नया सवेरा आया है।

ज़िंदगी जीने के तरीके अब उसके भी बदल गए है।कुछ और ना सही पर उसके हौंसलों को पंख मिल गए है।

अब मुश्किल है शायद पीछे मुड़ना, मंजिलों की राहों को छोड़ कर,

यूँ ही चलते चलते अब इन राहों पर ज़िंदगी जीने के नए बहाने मिल गए है।

You can read another Hindi poem here.

Aurat Teri Kahani”

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/08/30/aurat-teri-kahani/

Regards & Gratitude,

Deepika

जंग जीवन की

Hello friends,

Life is a journey and we live this in phases. We have to face up and downs at various points. What I think about life, my feelings are here in the form of Hindi poem. I hope you like it.

Hindi Poetry

Jang Jeevan Ki ( जंग जीवन की)

साँसें चल रही है तो उम्मीद अभी भी बाकी है।
हारी नहीं हूँ मैं, कोशिश अभी भी जारी है।

माना कि मुश्किलों भरी है राह मेरी,
पर ढिगा नहीं है विश्वास मेरा, जंग अभी भी जारी है।

फिर उठूँगी गिर कर भी मैं, लड़खड़ाते क़दमों से भी,
कोई हो ना हो साथ मेरे पर ज़िन्दगानी अभी भी बाकी है।

भले ही जल गई हो लकड़ियाँ मेरे चूल्हे की,
पर उनकी राख अभी भी बाकी है।

जख्म हरे कर जाते है कुछ घाव पुराने भी,
आँखों में नमी हो भले ही पर होठों पर मुस्कान अभी भी बाकी है।

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Zindagi ka Safar”

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/06/06/zindagi-ka-safar/

Vajood Jindagi ka”

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कोशिशें

अभी तो बस शुरुआत की है, मंजिले कई तय करना बाकी है।

हार और जीत से फर्क पड़ता नहीं मुझे, कोशिशें चलती रहे इतना ही काफ़ी है।

टूटेगा हौंसला नहीं ये चाहे अब जोर जितना भी लगा,

ये भी देखना दिलचस्प है कि दिल और दिमाग की जंग में भारी किसका पलड़ा।

इतना तो इल्म है मुझे भी अपनी जमीं के बारे में कि कहाँ सूखा है और कहाँ पानी है।

जानकर भी अगर अनदेखा करूँ बेज़ा गलतियों को तो ये सबसे बड़ी नादानी है।

दिल और दिमाग का तालमेल बेहद जरुरी है मेरे लिए,

चालाकी से हासिल की गयी खुशियाँ बेमोल और बेमानी है।

धीरे धीरे ही सही पर सही राह की तरफ कदम बढ़ाना है।

जरुरी नहीं की जहाँ भीड़ ज्यादा हो उसी को ही अपनाना है।

कुछ राहों का पता मंजिल को खुद नहीं होता,

तकदीरें सवार देती है उन तस्वीरों को भी जिसमें कभी किसी ने रंग नहीं भरा होता।

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“Hindi poetry” (Bahane) Excuses!

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उम्मीद

ना जाने क्यूँ आज सब कुछ धुआँ धुआँ सा लग रहा है।

अश्क दरियां सी और मन सागर सा भरा लग रहा है।

ऐसा नहीं है कि हम जानते नहीं उन्हें,

पर फिर भी न जाने क्यूँ उनके सजदे में ये सिर झुक रहा है?

सोच की गहराइयों पर भी उनका कब्ज़ा है,

ख्याबों की उड़ान पर भी कोई अनदेखा पहरा है।

फिर भी सब जानते हुए भी ये दिल गुस्ताख़ी कर रहा है।

बदल जायेगे वो हर पल ये इबादत कर रहा है।

इसी उम्मीद में कि शायद एक दिन वो समझ जायेगें,

और इस वीराने में भी उम्मीदों के फूल अपनी खुशबू फैलायेगे।

बहानें

ना करने के बहानें ढूंढों तो एक नहीं हज़ार मिल जाएगें।

और अगर करने जाओ तो छोटे छोटे तिनके भी रोड़े अटकायेगे।

तो क्या करे, हार मानकर बैठ जाए?

या झकझोरे अपने विश्वास को और सब भुलाकर आगे बढ़ते जाये।

रोज गिरे, रोज उठे पर मरने ना दें अपने एहसास को।

कर सकते है और हो भी जायेगा बस छोड़े अपने डर और डर से पैदा होने वाले हर अविश्वास को।

फिर यही रास्ता अपनी मंज़िल की राह खुद दिखलाएगा।

और आत्मविश्वास का सूरज हर अँधेरे को चीरता हुआ अपनी ही रोशनी से जगमगाएगा।

ज़िन्दगी का सफ़र

ज़िंदगी का सफ़र यूँ ही रूंठते मनाते हुए गुजर जाएगा।

कुछ साथ रह जाएगा तो कुछ पीछे छूट जाएगा।

हम ढूंढते ही रह जायेगें उन बीते हुए लम्हों को,

लोग आगे बढ़ जायेगें और बस यादों का कारवाँ रह जायेगा।

यही वक़्त सही है गुफ़्तुगू का अपनों से, कुछ कहने का, कुछ सुनने का,

वरना बाद में तो सिर्फ़ सिफ़र का दीदार ही रह जायेगा।

छोटी सी ये ज़िन्दगानी है, पल झपकते ही गुज़र जाएगी।

हम अफ़सोस ही करते रह जायेगे और कई कहानियाँ अतीत में ही दफ़न हो जाएगी।