अभी तो बस शुरुआत की है, मंजिले कई तय करना बाकी है।
हार और जीत से फर्क पड़ता नहीं मुझे, कोशिशें चलती रहे इतना ही काफ़ी है।
टूटेगा हौंसला नहीं ये चाहे अब जोर जितना भी लगा,
ये भी देखना दिलचस्प है कि दिल और दिमाग की जंग में भारी किसका पलड़ा।
इतना तो इल्म है मुझे भी अपनी जमीं के बारे में कि कहाँ सूखा है और कहाँ पानी है।
जानकर भी अगर अनदेखा करूँ बेज़ा गलतियों को तो ये सबसे बड़ी नादानी है।
दिल और दिमाग का तालमेल बेहद जरुरी है मेरे लिए,
चालाकी से हासिल की गयी खुशियाँ बेमोल और बेमानी है।
धीरे धीरे ही सही पर सही राह की तरफ कदम बढ़ाना है।
जरुरी नहीं की जहाँ भीड़ ज्यादा हो उसी को ही अपनाना है।
कुछ राहों का पता मंजिल को खुद नहीं होता,
तकदीरें सवार देती है उन तस्वीरों को भी जिसमें कभी किसी ने रंग नहीं भरा होता।
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“Hindi poetry” (Bahane) Excuses!