जंग दिल और दिमाग की!

ये जंग है दिल और दिमाग की, देखते है कि आखिर कौन जीतता है?

दिल और दिमाग के बीच कुछ मुद्दों को लेकर फर्क़ साफ़ साफ़ दिखाई देता है।

दिल बड़ी साफ़ गोही से सब कुछ कह देना चाहता है,

पर ये दिमाग है ना, बड़ा शातिर है, गोल गोल घुमाते रहना चाहता है।

लोग कहते है कि दिल से लिए फैसले अक्सर सही नहीं होते,

जो उठाते है फ़ायदा आपकी भावनाओं का, वो कतई विश्वास करने लायक नहीं होते।

कुछ ऐसे भी होते है जो हर चीज़ को दिमाग के तराजू से तोलते है,

अगर लगता है फायदे का सौदा तो ही किसी रिश्ते में आगे बढ़ते है।

ये जंग है दिल और दिमाग की, देखते है कि आखिर कौन जीतता है?

दिल और दिमाग के बीच कुछ मुद्दों को लेकर फर्क़ साफ़ साफ़ दिखता है।

मेरी नज़र में रिश्ते दिल से निभाए जाते है, ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत होती नहीं है।

गर महसूस कर सकते हो तकलीफ़ उसकी भी तो यही सच्ची कसौटी है।

कुछ रिश्तों को वक़्त के हवाले कर देना ही समझदारी होती है।

अगर अपने है तो लौट कर आएंगे वरना इंतज़ार करते करना एक मज़बूरी बन जाती है।

ये जंग है दिल और दिमाग की, देखते है कि आखिर कौन जीतता है?

दिल और दिमाग के बीच कुछ मुद्दों को लेकर फर्क़ साफ़ साफ़ दिखता है।

©® दीपिका

इंतज़ार अच्छे वक़्त का!

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हज़ारों बहाने जीने के!

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माँ का प्यार

माँ के चरणों में संसार और आँचल में ढ़ेर सारा प्यार होता है।
चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए, माँ का प्यार अपने बच्चे के लिए कभी भी कम नहीं होता है।

माँ के हाथ के बने खाने का दुनिया में कोई मोल नहीं है।
कैसे तोल सकता है कोई तेरे प्यार को, ए माँ! ये कोई बिकाऊ थोड़े ही है।

बस अपना प्यार और आशीर्वाद सदा यूँ ही बनाए रखना, माँ!
तुम जुग जुग जिओ हज़ारों साल, ये ही है तेरे बच्चे की दुआ, माँ।

कितने दुःख दर्द वो अपने बच्चे के लिए हँसते हँसते पी जाती है।

दुःख तो तब होता है जब उसके निःस्वार्थ प्रेम को स्वार्थ की परिभाषा दी जाती है।

शायद समझा नहीं सकती है वो अपनी भावना को शब्दों में।

बच्चा बस खुश रहे, तरक्की करे, ये ही दुआ होती हआई उसकी प्रार्थनाओं में।।

माँ के चरणों में संसार और आँचल में ढ़ेर सारा प्यार होता है।

चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए, माँ का प्यार अपने बच्चे के लिए कभी भी कम नहीं होता है।

©®दीपिका

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कद बड़ा या सोच?

शालिनी चुलबुली सी और प्यारी सी एक लड़की थी जो हमेशा हँसती खेलती रहती थी। पढ़ाई में अव्वल, खेल कूद में आगे, घर के कामों में निपुण। सब कुछ परफेक्ट सा था उसका। किसी का दिल दुखाना क्या होता है? उसे पता तक नहीं था, अपनी दुनिया में मस्त एक ज़िम्मेदार लड़की, बस एक ही कमी थी उसमें लोगों के हिसाब से, उसकी हाइट।

हाँ, छोटे कद की थी वो और उसकी इस शारीरिक कमी के लिए उसे न जाने क्या क्या सुनना पड़ता था? मानों उसके हाथ में था ये सब! उसने जानबूझकर अपना कद कम किया हो।

उसकी सारी अच्छाइयों को छिपाने के लिए उसके कद को जरिया बनाया जाता था। उसे जताया जाता था हमेशा की वो छोटी है, उसका मजाक बनाया जाता था कि ये नहीं कर सकती वो, यहाँ नहीं पहुँच सकती वो, ये तो इसके बस का ही नहीं है, वगेरह वगेरह।

शालिनी को बुरा तो बहुत लगता था पर वो उन्हें जवाब देना जरुरी नहीं समझती थी। उसने सोच लिया था कि वह लोगों के तानों का जवाब अपने हुनर से देगी, अपने काम से देगी, उनसे लड़ कर नहीं। जैसे जैसे उसकी उम्र शादी के लायक होती गई लोगों के ताने भी बढ़ गए पर उसने परवाह नहीं की।

धीरे धीरे शालिनी की माँ से भी कहा जाने लगा कि “तुम्हारी लड़की की हाइट तो छोटी है, कोई अच्छा लड़का नहीं मिलेगा तुम्हारी शालिनी को”। शालिनी की माँ भी पलट कर जवाब में बिना हिचके कह ड देती थी कि “क्या कमी है मेरी बेटी में? जो उसकी खूबियों को नहीं समझते उनमें और उनकी सोच में कमी है, मेरी बेटी में नहीं।”

शालिनी की माँ लोगों से तो कह देती थी पर मन ही मन वो भी जानती थी लोगों की सोच को और डरती थी अपनी बेटी के भविष्य को लेकर। उसने कभी भी शालिनी को जाहिर नहीं होने दिया पर शालिनी समझ गयी थी अपनी माँ की चिंता को।

उसने माँ से आगे बढ़कर बात की और उसे समझाया, “माँ आप चिंता मत करो।” जो इंसान मेरे व्यक्तिव से नहीं, मेरे बाहरी रंग रूप से मेरी पहचान करेगा वो ज़िंदगी भर मेरा साथ क्या निभायेगा? मैं जैसी हूँ,वही मेरी पहचान है।

वो आगे बोली, “माँ आपने वो कहावत तो सुनी होगी की “बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर? पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।”

मैं अपनी कमी को अपनी ताकत से हरा दूंगी। और तब ही शादी करुँगी जब मुझे, मैं जैसी हूँ वैसे ही स्वीकार किया जाएगा और वो भी सम्मान के साथ, तब तक हम इस बारे में बात भी नहीं करेंगे।

शालिनी लोगों की कही बातों को पीछे छोड़ कर और अपनी माँ को समझाकर अपनी आईएस की परीक्षा की तैयारी में पूरे जोर शोर से लग गयी, “अब उसका एक ही लक्ष्य था अपनी योग्यता से अपने व्यक्तिव की पहचान बनाना ना की अपने कद से।”

रिजल्ट आया तो सब हैरान हो गए, शालिनी ने पहले ही प्रयास में आईएस क्लियर कर लिया था और साथ में ही कर दिया उन सभी लोगों का मुँह बंद जो हमेशा उसे कोसने के लिए ही मुँह खोलते थे।

कुछ ही महीनों में उसने अपने व्यक्तिव से,अपने काम से अपनी एक अलग पहचान बना ली थी और बना ली थी जगह समीर के दिल में भी। समीर शालिनी को अपना जीवन साथी बनाना चाहता था उसकी अच्छाइयों की वजह से न कि वो कैसी दिखती है इस वजह से।

शालिनी बहुत खुश थी कि उसकी खोज पूरी हो गयी उसे वो मिल गया जिसकी सोच उसकी सोच से मेल खाती है।

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©®दीपिका

क्या है ज़िंदगी?

कभी कुछ पाना और थोड़ा खोे देने का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी रूठना और कभी झट से मान जाने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी खिलखिला के हँसना और कभी छोटी बातों पर रो देने का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी आगे बढ़ना और कुछ पीछे छोड़ देने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी पहले लड़ने का और बाद में गलती पर पछताने का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी थोड़ा गुस्सा और कभी ढ़ेर सारा प्यार लुटाने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी खुद उलझ जाना और कभी दूसरों के मसले सुलझाने का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी “रंजिश ए गम” और कभी बेइंतेहा खुशियाँ लुटाने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी मनचाहा मिल जाना और कभी अनचाहे से पीछा छुड़ाने का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी खुद गुम हो जाना और कभी गैरों को गले लगाने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी उड़ती पतंग की तरह आसमां में उड़ने का और कभी कट कर ज़मीन पर गिर जाने का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी हिम्मत हार कर बैठ जाना और कभी दूसरे का हौंसला बढ़ाने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी तपती धूप और कभी ठंडी झाँव का नाम है, ज़िंदगी।

तो कभी फ़क़त जोश का और कभी सब कुछ बिखर जाने का नाम है, ज़िंदगी।।

कभी आँखें चुराना और कभी बाँहे फैला देने का नाम है,ज़िंदगी।

तो कभी मायूसी और कभी यूँ ही मुस्कुरा देने का नाम है, ज़िंदगी।।

ये ज़िंदगी है,कभी किसी का उधार नहीं रखती है।

जो भी मिलता है उसे, सूद समेत वापस कर देती है।।

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/12/28/jindagi-ko-jitana-hai/

©® दीपिका

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बीमारी में फर्क कैसा?

उषा किचन साफ़ करके जैसे ही बिस्तर पर आई तो महसूस किया कि उसका पूरा बदन तेज़ बुखार से तप रहा था, कमज़ोरी भी महसूस हो रही थी।

उसने दवाई ली और सोने की कोशिश करने लगी पर दर्द की वजह से ठीक से सो नहीं पा रही थी, पूरी रात इधर से उधर करवट बदलती रही। आँख लगी ही थी कि हॉल से आवाज़ आई, आज चाय नहीं मिलेगी क्या?

उषा को एहसास हुआ कि सुबह हो चुकी थी, पति को अपनी तबियत के बारे में बिन बताए जैसे तैसे उसने नाश्ता बनाया और टिफिन पैक करके पति को ऑफिस और बच्चों को स्कूल भेजा।

अब उषा बिल्कुल भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही थी वह अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी। उषा की सासूमाँ इस बात से मन ही मन परेशान होने लगी थी कि अब आज खाना कौन बनाएगा?

उषा बिस्तर पर लेटे लेटे ये सोचने लगी कि कैसे वह सबके लिए उनकी एक छींक आने पर भी एक टांग पर खड़ी रहती है। दवाई, खाना-पानी सबको टेबल पर रखा मिल जाता है और आज जब वो बीमार है तो उसकी तबीयत ख़राब होने से ज्यादा परेशान लोग इस बात से है कि काम कौन करेगा?

उसकी आँखों से आँसू आ गए कि खाने में नमक कितना पड़ेगा और मसाले का हिसाब क्या है ये तक बताने के लिए अब उसे बार बार बिस्तर से उठना पड़ेगा।

वह सोच में पड़ गयी कि कीमत क्या है उसकी इस घर में? एक काम करने वाली बाई को भी महीने में पाँच छह छुट्टी मिल ही जाती है, वो भी अपनी शर्तों पर ही काम करती है घर में। कोई ज्यादा ना नुकर करता है तो फट से बोल देती है “हिसाब कर दो मेरा”।

पर एक बहु का क्या इतना भी हक़ नहीं है कि बीमार पड़ने पर वो अपनी मर्ज़ी से आराम तक कर सके? अगर उसका मन न करे काम करने का तो खुलकर अपनी तकलीफ अपने परिवार वालों के सामने रख सके।

उसे डर ना हो इस बात का कि उसे इस बात के लिए भी ताना सुनाया जायेगा कि “आजकल की बहुएँ तो छुइमुई सी हो गयी है, हवा लगते ही बीमार पड़ जाती हैं।”

ये सब सोचते सोचते ना जाने कब उसे झपकी लग गयी, उसकी नींद फिर एक आवाज़ से टूटी। “बहु बच्चे आने वाले है, खाना नहीं बनेगा क्या आज?”

उषा धीरे से उठते हुए और अपने कपड़ों को सही करते हुए किचन की तरफ कदम बढ़ा देती है।

“एक औरत से माँ बनने का सफ़र” जितना सुखदायी उतना ही चुनौतीपूर्ण, 7 ध्यान देने वाले बिंदु।

माँ ये नाम सुनते ही एक अलग ही भाव की अनुभूति होती है, दया, ममता, करुणा और धैर्य की मूरत माँ।

पर क्या एक औरत से माँ बनने का सफ़र इतना आसान होता है?

शायद नहीं, बिल्कुल नहीं।

एक औरत को माँ बनने के लिए ना केवल शारीरिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है बल्कि मानसिक तौर पर भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

जो लड़की कल तक शायद खुद की ज़िम्मेदारी ठीक से संभाल नहीं पाती थी, रातों रात एक जिम्मेदार माँ के चोले से ढ़क दी जाती है, कोई नहीं पूछता उसने भी कि किन परेशानियों से उसे भी जूझना पड़ रहा है उसे भी?

पहली बार माँ बनने का अनुभव जितना ख़ास होता है शायद उतना ही अवसादपूर्ण होता है कई महिलाओं के लिए क्यूँकी उन्हें समझ में ही नहीं आता है कि कैसे खुद को संभालें और कैसे उस नन्हीं की जान को?

क्या किया जाए इस स्थिति से बचने के लिए?

1.सबसे पहले माँ को मानसिक संबल दिया जाए कि उसमें इतनी ताकत खुद भगवान ने दी है कि वह इस अनुभव को यादगार बना सके।

2.उसे अकेला न छोड़ा जाए,अगर परिवार में उस समय कोई मदद के लिए नहीं उपलब्ध नहीं है तो आया और दाई को पहले से ही नियुक्त कर लिया जाए।

3.अगर परिवार साथ में है तो जज्जा की पूरी तरह से देखभाल की जाए ना कि बार बार इस बात का एहसास कराया जाये कि वो क्या दवाब महसूस कर रहे है इस बदलाव से?

4.प्यार,अपनापन,स्नेह हर घाव को जल्दी भरने में मदद करता है चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक। इस समय पति का रोल भी बहुत अहम् हो जाता है, जितना ज्यादा वक़्त वह पत्नी और नवजात शिशु के साथ बिताएगा उतना ही मनोबल और ढाढ़स पत्नी को मिलेगा।

5. नवजात शिशु और जज्जा की नींद ठीक तरह से पूरी हो, इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाना चाहिए।

6.माँ के खान पान का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए जिससे कि वह जल्दी से जल्दी खुद को स्वस्थ महसूस कर सके।

7. माँ खुश रहे इस बात को पूरी तवज्जों दी जानी चाहिए। नींद पूरी न होने की वजह से या किसी और कारण से अगर वह खुश नहीं है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए और डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

माँ बनना एक जिम्मेदारी है एक नयी ज़िंदगी को जन्म देने की और एक नए सफ़र की शुरुआत करने की जिसमें यदि पूरे परिवार का प्यार और सहयोग साथ हो तो ये सफ़र बहुत सुखदाई और यादगार हो जाएगा।

दुआएँ

अकेले आए थे, अकेले ही चले जाना है।

कुछ जाएगा साथ नहीं हमारे,

बस मीठे बोल और अच्छे कर्मों को पीछे रह जाना है।

पता नहीं क्यूँ भागते रहते है हम पूरी ज़िंदगी, कुछ चंद टुकड़ों के पीछे।

एक दिन सबको यही इसी मिट्टी में ही मिल जाना है।

मीठी बोली, प्यार और अपनापन धरोहर है इंसानियत की,

कुछ ज्यादा खर्च नहीं होता अगर बाँटे हम दुख दूसरों के भी।

हमारी एक पहल से शायद किसी का दिन बन जाये,

किसी रोते हुए को ख़ुशी और सुकून के दो पल मिल जाए।

यही ज़िंदगी है, एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ चले।

कुछ अपनी कहे, कुछ सुने दूसरों की भी और यूँ ही सफ़र तय करते चले।

पैसों से भी अनमोल है ये दुआएँ,

अगर हो सके तो इनसे भी झोली भरते जाए।

वरना क्या बचता है इस ज़िन्दगी में?

अकेले आये थे,अकेले ही चले जाना है।

Regards and Gratitude!

Deepika

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/DuaayeBlessings-ec1mq3

You can also listen to the poem. Here is the link.

https://youtu.be/j0cbn7qYkUM

You can read another Hindi poem here.”Dost Teri Dosti”

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/07/02/dost-teri-dosti/

कोशिशें

अभी तो बस शुरुआत की है, मंजिले कई तय करना बाकी है।

हार और जीत से फर्क पड़ता नहीं मुझे, कोशिशें चलती रहे इतना ही काफ़ी है।

टूटेगा हौंसला नहीं ये चाहे अब जोर जितना भी लगा,

ये भी देखना दिलचस्प है कि दिल और दिमाग की जंग में भारी किसका पलड़ा।

इतना तो इल्म है मुझे भी अपनी जमीं के बारे में कि कहाँ सूखा है और कहाँ पानी है।

जानकर भी अगर अनदेखा करूँ बेज़ा गलतियों को तो ये सबसे बड़ी नादानी है।

दिल और दिमाग का तालमेल बेहद जरुरी है मेरे लिए,

चालाकी से हासिल की गयी खुशियाँ बेमोल और बेमानी है।

धीरे धीरे ही सही पर सही राह की तरफ कदम बढ़ाना है।

जरुरी नहीं की जहाँ भीड़ ज्यादा हो उसी को ही अपनाना है।

कुछ राहों का पता मंजिल को खुद नहीं होता,

तकदीरें सवार देती है उन तस्वीरों को भी जिसमें कभी किसी ने रंग नहीं भरा होता।

Check here!

“Hindi poetry” (Bahane) Excuses!

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/06/19/bahane/

5000 Views Completed!

Hello Friends!

How are you all? I hope you are doing good.

Today I am here to make an announcement.

5000 views completed on my blog!

I honestly don’t track views regularly.

I opened my blog’s insight today and I came to know that 5000 Views has been crossed.

I thought I should thank you all. And this is the best way to express my gratitude for all the readers.

“हौंसला अगर पक्का हो तो सपनों को भी पंख लग जाते हैं।

कोशिश अगर सच्ची हो तो मुश्किल में भी राह निकल आती है।

बस बढ़ाना हैं, एक एक कदम मंजिल की ओर

और मंजिल खुद फ़ासला कम करती जाती है।

#deepikawrites

I want to shout out for the WordPress community. They supported me in my ups and downs.

A big thanks to all the readers who supported me to grow as a motivational blogger and poet.

I am glad my new experiment through my poetries is liked by many of you.

I am overwhelmed. This is the result of the last 5 months of continuity & hard work.

This is not possible without your support. I am glad I started writing for Hindi readers also through my Hindi poetries.

Give your suggestions and feedbacks in the comment section below.

Regards & Gratitude

Deepika