दुआएँ

अकेले आए थे, अकेले ही चले जाना है।

कुछ जाएगा साथ नहीं हमारे,

बस मीठे बोल और अच्छे कर्मों को पीछे रह जाना है।

पता नहीं क्यूँ भागते रहते है हम पूरी ज़िंदगी, कुछ चंद टुकड़ों के पीछे।

एक दिन सबको यही इसी मिट्टी में ही मिल जाना है।

मीठी बोली, प्यार और अपनापन धरोहर है इंसानियत की,

कुछ ज्यादा खर्च नहीं होता अगर बाँटे हम दुख दूसरों के भी।

हमारी एक पहल से शायद किसी का दिन बन जाये,

किसी रोते हुए को ख़ुशी और सुकून के दो पल मिल जाए।

यही ज़िंदगी है, एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ चले।

कुछ अपनी कहे, कुछ सुने दूसरों की भी और यूँ ही सफ़र तय करते चले।

पैसों से भी अनमोल है ये दुआएँ,

अगर हो सके तो इनसे भी झोली भरते जाए।

वरना क्या बचता है इस ज़िन्दगी में?

अकेले आये थे,अकेले ही चले जाना है।

Regards and Gratitude!

Deepika

https://anchor.fm/deepika-mishra/episodes/DuaayeBlessings-ec1mq3

You can also listen to the poem. Here is the link.

https://youtu.be/j0cbn7qYkUM

You can read another Hindi poem here.”Dost Teri Dosti”

https://myaspiringhope.wordpress.com/2019/07/02/dost-teri-dosti/