रंग बदलती इस दुनिया में कुछ रंग ऐसे भी है
जिन से बनती है ये ज़िन्दगी खूबसूरत और बेहतरीन।
जो ये रंग ना हो तो
सब कुछ होते हुए भी लगे फ़ीका फ़ीका जैसे नमक बिना लगे नमकीन।
वो रंग है अपनेपन का, जो खून के रिश्तों का मोहताज़ नहीं होता।
वो रंग है दोस्ती का, जो यारों के लिए हर डाँट सुनने को तैयार रहता है।
वो रंग है सादगी का, जो सारी चकाचौंध को खुद में समा लेता है।
वो रंग है समर्पण का,जो अपनों की सुध में खुद को भुला देता है।
वो रंग है सच्चाई का, जो हर झूठ को आईना दिखा देता है।
वो रंग है अच्छाई का, जो बुराई को भी खुद में समा लेता है।
वो रंग है खुशी का, जो गमों को भुला दे।
वो रंग है हँसी का जो फिर से जीना सीखा दे।
~~दीपिकामिश्रा
As beautiful as ever. Loved it totally.
Deepika Sharma
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Thank you so much Deepika🙏
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These are lovely lines written Deepika. Very nice.
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Thank you so much Tina🙏🙏
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Beautiful poem. Keep writing.
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Thank you so much🙏🙏Yes, I will.
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Would love to read the translated one
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Ok, I will try.
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