बहानें

ना करने के बहानें ढूंढों तो एक नहीं हज़ार मिल जाएगें।

और अगर करने जाओ तो छोटे छोटे तिनके भी रोड़े अटकायेगे।

तो क्या करे, हार मानकर बैठ जाए?

या झकझोरे अपने विश्वास को और सब भुलाकर आगे बढ़ते जाये।

रोज गिरे, रोज उठे पर मरने ना दें अपने एहसास को।

कर सकते है और हो भी जायेगा बस छोड़े अपने डर और डर से पैदा होने वाले हर अविश्वास को।

फिर यही रास्ता अपनी मंज़िल की राह खुद दिखलाएगा।

और आत्मविश्वास का सूरज हर अँधेरे को चीरता हुआ अपनी ही रोशनी से जगमगाएगा।

51 thoughts on “बहानें

  1. जज्बा हो अगर कुछ गुजरने का तो रूकावटे भी हट ही जाती है

    Liked by 1 person

  2. Pingback: URL

Leave a comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.