ज़िन्दगी का सफ़र

ज़िंदगी का सफ़र यूँ ही रूंठते मनाते हुए गुजर जाएगा।

कुछ साथ रह जाएगा तो कुछ पीछे छूट जाएगा।

हम ढूंढते ही रह जायेगें उन बीते हुए लम्हों को,

लोग आगे बढ़ जायेगें और बस यादों का कारवाँ रह जायेगा।

यही वक़्त सही है गुफ़्तुगू का अपनों से, कुछ कहने का, कुछ सुनने का,

वरना बाद में तो सिर्फ़ सिफ़र का दीदार ही रह जायेगा।

छोटी सी ये ज़िन्दगानी है, पल झपकते ही गुज़र जाएगी।

हम अफ़सोस ही करते रह जायेगे और कई कहानियाँ अतीत में ही दफ़न हो जाएगी।

45 thoughts on “ज़िन्दगी का सफ़र

  1. ज़िंदगी का सफ़र यूँ ही रूंठते मनाते हुए गुजर जाएगा।

    कुछ साथ रह जाएगा तो कुछ पीछे छूट जाएगा।

    बहुत ही खूबसूरत रचना।सत्य कथन।👌👌

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  2. ज़िन्दगी आज जीने में है, अपनों के साथ और हस खेल के। कल के लिए क्यूं कोई बात छोड़ना, आज ही सब कह सुन लो।

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  3. your words made me very emotional. Because i live in Melbourne and family is in India…it got me nostalgic of the growing up years.

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