मन क्या चाहता है?

दायरा छोटा ही क्यूँ ना हो, सोच बड़ी होनी चाहिए।

घर भले ही छोटा ही सही पर दिल में जगह होनी चाहिए।

कुछ लोग तोलते है हर भावना को तराज़ू पर,

कहना चाहती हूँ उनको बस इतना ही,

ज्ञान कितना भी क्यूँ ना हो पर समझ बड़ी होनी चाहिए।

रिश्ते खून के ही नहीं, अपनेपन के भी होते है,

बस समझे जो दूसरे के दर्द को अपना, दिल के कोने में इतनी तो जगह होनी चाहिए।

प्यार, भरोसा, अपनापन और दिलासा चाहता है हर मन

मिल जाये अगर उसे इतना ही तो उसे और कुछ नहीं चाहिए।

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